जिम्मेदारों की मिलीभगत करोड़ों की जमीन फर्जी तरीके से बेची, शहर के युवा उद्योगपति और वरिष्ठ कांग्रेस नेता के भतीजे की हेरफेर
Land worth crores was sold fraudulently with the connivance of responsible persons, manipulation by the city's young industrialist and the nephew of a senior Congress leader

डेली जर्नल हिंदी डेस्क
रतलाम, शहर के युवा उद्योगपति और कांग्रेस के पूर्व विधायक के भतीजे जयेश झेलनी पर 0.340 हेक्टेयर ज़मीन को फर्जी तरीके बीजेपी नेता को बेचने का आरोप लगा है। मामले में उद्योगपति जयेश झालानी पर स्टेशन रोड थाने पर आनना - फानन में कलेक्टर कार्यालय से एक आवेदन पहुंचा और तहसीलदार के पत्र पर कार्रवाई करते हुए स्टेशन रोड पुलिस ने जयेश झालानी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467 (दस्तावेज़ों की कूटरचना, 468 (धोखाधड़ी के इरादे से कूटरचना), और 471 (फर्जी दस्तावेज़ का उपयोग) के तहत केस दर्ज किया गया है। फिलहाल जयेश पुलिस की निगरानी में ही जिला अस्पताल के कार्डियक आईसीयू में भर्ती है। जयेश को कोर्ट में पेश कर आ बाकी हैं। आईसीयू में एक पुलिसकर्मी को निगरानी के लिए तैनात भी किया है।
जयेश पर आरोप लगे है कि उसने फर्जी दस्तावेज़ों के माध्यम से माहेश्वरी प्रोटीन्स की 0.340 हेक्टेयर ज़मीन सर्वे नंबर 269/1 का फर्जी नामांतरण करवाकर उसे भारतीय जनता युवा मोर्चा के पदाधिकारी गौरव मूणत को बेच दी है।
10 जून 2025 को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के ऑफिसियल लिक्विडेटर व्योमेश सेठ ने तहसीलदार को पत्र भेजकर स्पष्ट किया कि भूमि का नामांतरण गलत तरीके से हुआ है। दस्तावेज़ों की समीक्षा में यह भी सामने आया कि जयेश ने प्रस्तुत विक्रय पत्र जिसका क्रमांक 1317 जो 14अगस्त 2008 में किया गया था, वह फर्जी था। इस पूरे घोटाले के खेल में राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठ रहे है।
जमीन की इस जादुगरी में राजस्व अधिकारियों की संलिप्तता
की ओर इशारा हो रहा है। पटवारी प्रतिवेदन और दस्तावेजों की जांच के बाद भी फर्जी सेलडीड कैसे स्वीकृत की गई?
क्या दस्तावेज़ों की सत्यता की पुष्टि किए बिना नामांतरण आदेश पारित किया गया? क्या अधिकारियों ने जानबूझकर मिलीभगत की, या फिर लापरवाही? इस पूरी प्रक्रिया में तहसील कार्यालय और उप-पंजीयक कार्यालय की भूमिका जांच के दायरे में आ गई है। फर्जी दस्तावेज पर फर्जी नामांतरण के इस मामले में रतलाम कलेक्ट्रेट के राजस्व विभाग की भूमिका संदेह के घेरे में है। हाल ही में मंगलवार को भू अभिलेख अधिकारी का पदभार मिलते ही एसडीएम अनिक भाना, सीएसपी और डीएसपी अजय सारवान इसी मामले को लेकर चर्चा के लिए कलेक्ट्रेट पहुंचे थे।