ट्रेन के टिकट कंडक्टर ने गुम हुए 7 वर्षीय बच्चे को परिवार से मिलवाया, बच्चे को परिवार से मिलवाने टीसी ने पूरी ट्रेन खंगाल दी

The train's ticket conductor reunited a lost 7-year-old child with his family. The TC searched the entire train to reunite the child with his family, western railway news, ratlam railway station, ujjain mahakal,

ट्रेन के टिकट कंडक्टर ने गुम हुए 7 वर्षीय बच्चे को परिवार से मिलवाया, बच्चे को परिवार से मिलवाने टीसी ने पूरी ट्रेन खंगाल दी

डेली जर्नल हिंदी डेस्क 

रतलाम/उज्जैन, ट्रेन में सीटीआई चीफ टिकट इंस्पेक्टर ने एक गुम बच्चे को उसके उसके परिवार से मिलवाया और चैन की सांस ली।  उज्जैन रेलवे स्टेशन पर परिवार से बिछड़कर गलत ट्रेन में चढ़ने से गुम हुए 7 साल के बच्चे को सीटीआई ने परिवार से मिलवा दिया। हम हुए बच्चे को लेकर उसके परिवार से मिलवाने के लिए जब सीटीआई  राजेंद्र चौहान उज्जैन रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के एसी और स्लीपर कोच खंगाल रहे थे तब हर पैसेंजर की नजरें सीटीआई पर थी। सीटीआई चौहान ने बच्चे के परिवार की तलाश को लेकर पूरी ट्रेन खंगाल दी और बच्चे को उसके परिवार से मिलवा ही दिया।

ऐसे मिला गुम हुआ 7 वर्षीय देव

दरअसल अहमदाबाद-गोरखपुर ट्रेन संख्या 19489 में सीटीआई राजेंद्र चौहान ड्यूटी के लिए रतलाम से चढ़े। उज्जैन निकलने के कुछ देर बाद बुधवार की शाम 6.30 बजे बी-1 कोच में 7 वर्षीय  देव पिता रणजीत सोनी को घेरकर यात्री खड़े थे। उन्होंने सीटीआई चौहान को बताया कि बच्चे के परिवार वाले नहीं मिल रहे हैं। लोगों ने बताया कि वे पूरे कोच में पूछ चुके हैं। सीटीआई चौहान ने बच्चे को शांत कर उसका नाम, पते के साथ उसके माता-पिता के मोबाइल नंबर पूछे। इन पर कई बार खुद कॉल किए और यात्रियों से भी करवाए। उन्होंने बच्चे को साथ लिया और एसी के साथ भी स्लीपर कोच में भी उसके माता-पिता को तलाश किया। रतलाम कंट्रोल रूम पर सूचना दी तो वहां से आसपास के सभी स्टेशनों पर बताया गया। उज्जैन रेलवे स्टेशन पर जब अनाउंसमेंट हुआ तब अनाउंसमेंट पर उसके पिता बच्चे तक पहुंचे। ट्रेन का समय होने पर बच्चा और उसके पिता ट्रेन में ही चढ़ गए गए इसके बाद अगले स्टॉपेज संत हिरदाराम नगर (बैरागढ़) में आरपीएफ के जरिए बच्चे को परिवार से मिलवाया गया।

झांसी निवासी बच्चे के पिता रंजीत सोनी ने बताया कि 3 बेटियों व पत्नी के साथ महाकाल दर्शन के लिए 29 जुलाई को दोपहर 2.30 बजे ट्रेन से निकले थे और रात 1 बजे उज्जैन पहुंचे। 30 जुलाई को सुबह महाकालेश्वर भगवान के दर्शन किए। शाम 6.35 बजे प्लेटफॉर्म नंबर 6 से ट्रेन थी। हम प्लेटफॉर्म नंबर 1 के पास बैठे थे। पत्नी और मैं टिकट लेने गए। 7 साल का बेटा देव 19, 16 व 12 साल की बहनों के पास बैठा था। हम टिकट लेकर आए तो देव नहीं दिखा। काफी तलाश करने के बाद भी नहीं मिला तो हम घबरा गए। पत्नी मंजू और तीनों बहने रोने लगीं। मैं कंट्रोल रूम पर गया इसके पहले वहां से अनाउंसमेंट होना शुरू हो गया कि ट्रेन में देव नाम का बच्चा मिला है। तब तक शाम के 7 बज गए थे। आधे घंटे तक हमारी हालत खराब रही। उज्जैन से हम बस से मक्सी पहुंचे और फिर रात 11.30 बजे संत हिरदाराम नगर पहुंचे। वहां आरपीएफ ने बच्चे को हमारे हवाले किया।

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