नए वक्फ (संशोधित) अधिनियम 2025 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर 70 याचिकाओं, इनमें एक याचिका सैय्यद शाह सिब्तेन हैदर मियां ज़ैदी बरकाती ने भी लगाई, कहा हमे संविधान पर पूरा यकीन है, इंशाल्लाह वक्फ अमानत महफूज रहेगी

70 petitions filed in the Supreme Court against the new Waqf (Amendment) Act 2025, one of them was filed by Syed Shah Sibtain Haider Mian Zaidi Barkati, said we have full faith in the Constitution, Insha Allah the Waqf trust will remain safe

नए वक्फ (संशोधित) अधिनियम 2025 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर 70 याचिकाओं, इनमें एक याचिका सैय्यद शाह सिब्तेन हैदर मियां ज़ैदी बरकाती ने भी लगाई, कहा हमे संविधान पर पूरा यकीन है, इंशाल्लाह वक्फ अमानत महफूज रहेगी
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नए वक्फ (संशोधित) अधिनियम 2025 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर 70 याचिकाओं, इनमें एक याचिका सैय्यद शाह सिब्तेन हैदर मियां ज़ैदी बरकाती ने भी लगाई, कहा हमे संविधान पर पूरा यकीन है, इंशाल्लाह वक्फ अमानत महफूज रहेगी

डेली जर्नल हिंदी डेस्क 

दिल्ली, नए वक्फ (संशोधित) अधिनियम 2025 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई हुई। सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इस मामले में दायर 70 याचिकाओं पर सुनवाई हुई। जिसमें हुज़ूर वक़ारे मिल्लत हज़रत अल्लामा सैय्यद शाह सिब्तेन हैदर मियां ज़ैदी बरकाती साहब साहिबे सज्जादा खानकाहे आलिया कादरिया बरकातिया मारहरा शरीफ़ की ओर से भी वक़्फ़ बिल 2025 के खिलाफ याचिका दाख़िल की थी। बहस के बाद सैय्यद शाह सिब्तेन हैदर मियां ज़ैदी बरकाती ने बातचीत में कहा कि इस बिल में कई धाराएं संविधान विरोधी है। हमने न्यायालय में सभी बातों को रखा। न्यायालय ने हमारे बिंदुओं को सुना और हमे वहां से बहुत ही पॉजिटिव फीडबैक मिला। हमें बहुत ही हिम्मत मिली। मीडिया के माध्यम से मैं मुस्लमान भाइयों से कहना चाहता हु कि संविधान पर यकीन रखकर हम यहां काम कर रहे है। अब भी हम्मत बनाए रखे। हम संविधान ओर क़ानून के दायरे में रह कर अपना हक़ ले कर रहेंगे। इंशाल्लाह वक्फ की अमानत में महफूज रहेगी। वहीं सुप्रीम कोर्ट में असदुद्दीन ओवैसी, कपिल सिब्बल, अभिषेक मनुसिंघवी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, के साथ याचिकाकर्ता के वकीलों ने बहस की। 

इन याचिकाओं में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की कई धाराओं को संविधान विरोधी बताते हुए उन्हें रद्द करने की मांग की गई है। वहीं वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के समर्थन में कई राज्य भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे है।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई करते हुए कहा कि 

वह वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं में निम्नानुसार अंतरिम आदेश पारित करने का प्रस्ताव कर रहा है।

1. न्यायालय द्वारा वक्फ के रूप में घोषित संपत्तियों को वक्फ के रूप में विमुक्त नहीं किया जाना चाहिए, चाहे वे वक्फ-बाय-यूजर हों या विलेख द्वारा वक्फ हों, जबकि न्यायालय वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है।

2. न्यायालय ने आगे आदेश दिया कि संशोधन अधिनियम के प्रावधान, जिसके अनुसार वक्फ संपत्ति को वक्फ के रूप में नहीं माना जाएगा, जबकि कलेक्टर यह जांच कर रहा है कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, को प्रभावी नहीं किया जाएगा।

3. न्यायालय ने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद के सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए, सिवाय पदेन सदस्यों के।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान वक्फ कानून पर केंद्र सरकार को सात दिन की मोहलत दी। केंद्र को एक हफ्ते के अंदर जवाब देने को कहा है। केंद्र का जवाब आने तक वक्फ संपत्ति में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं होगा। साथ ही अगले आदेश तक नई नियुक्तियों पर भी रोक होगी। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 110 से 120 फाइलें पढ़ने में समय लगेगा, इसमें से ऐसे पांच बिंदु तय करने होंगे। सिर्फ 5 मुख्य आपत्तियों पर ही सुनवाई की जाएगी। याचिकाकर्ता मुख्य बिंदुओं पर सहमति बनाएं। नोडल काउंसिल के जरिए इन आपत्तियों को तय कीजिए। कोर्ट ने केंद्र को जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है। तब तक वक्फ बोर्ड और परिषद में नई नियुक्ति फिलहाल नहीं होगी। इसके साथ ही तय समय तक वक्फ बाय यूजर में बदलाव नहीं हो सकेगा। 5 मई को इस मामले में अगली सुनवाई होगी।

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यह है वक्फ

'वक्फ' का मतलब होता है 'वकुफा', यह एक अरबी शब्द है।  इसका अर्थ है ठहरना, रोकना या निषिद्ध करना। दुनिया में से 27 देशों के वक्फ की संपत्तियों पर काम करने वाली संस्था औकाफ प्रॉपर्टीज इन्वेस्टमेंट फंड के मुताबिक कानूनी शब्दों में इस्लाम में कोई व्यक्ति जब धार्मिक वजहों से या ईश्वर के नाम पर अपनी प्रॉपर्टी दान करता है तो इसे प्रॉपर्टी वक्फ कर देना कहते हैं। चाहे फिर वो कुछ रुपए की रकम हो या बेशकीमती हीरे जवाहरात से भरी हुई एक पूरी इमारत हो।

अधिकतर ऐसी संपत्ति को अल्लाह की संपत्ति कहा जाता है। अपनी सम्पत्ति वक्फ को देने वाला इंसान वकिफा कहलाता है। वकिफा ये शर्त रख सकता है कि उसकी संपत्ति से होने वाली आमदनी सिर्फ पढ़ाई पर या अस्पतालों पर ही खर्च हो।

इन संपत्तियों को बेचा या धर्म के अलावा किसी और मकसद के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। पैगंबर मोहम्मद साहब के समय खजूर के 600 पेड़ों का एक बाग को वक्फ का सबसे पहला उदाहरण है। इससे होने वाली कमाई से मदीना के गरीबों की मदद होती थी।